Tulsi Vivah
Tulsi Vivah
तुलसी विवाह: धार्मिकता और प्रेम का संगम
नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि पौराणिक कथाएं हमारे जीवन को किस प्रकार से प्रभावित कर सकती हैं? आज हम एक ऐसे पावन पर्व के बारे में चर्चा करेंगे जो हमें धार्मिकता और प्रेम के संगम का अहसास कराता है - "तुलसी विवाह"।
तुलसी विवाह का आरंभ
पहले हम इस पावन त्योहार की शुरुआत के साथ चलें। तुलसी विवाह हिन्दू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण पर्व है जो कार्तिक मास के एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण और तुलसी का विवाह हुआ था और यही दिन तुलसी के पूजन का आरंभ हुआ था।
तुलसी: प्रेम की प्रतीक
तुलसी विवाह के पीछे एक प्यार भरा किस्सा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और तुलसी का अद्वितीय प्रेम व्यक्त होता है। तुलसी को भगवान की अत्यंत प्रिय बताया जाता है और इसलिए उसका पूजन हमारे जीवन में कितना महत्त्वपूर्ण है।
तुलसी का महत्त्व
तुलसी को आध्यात्मिकता में विशेष महत्त्व दिया जाता है। उसकी पूजा से हम अपने जीवन में शांति, सुख, और सफलता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। तुलसी के पौराणिक सम्बंधों का अध्ययन करने से हम अपने आत्मा को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
तुलसी विवाह के रीति-रिवाज
तुलसी विवाह का आयोजन अपने-अपने समुदायों में विभिन्न रूपों में होता है। प्रत्येक स्थान पर इसे अपनी रूढ़िवादिता के साथ मनाया जाता है, लेकिन सभी स्थानों में यह एक ही उदादीपन से होता है।
तुलसी विवाह का सामाजिक महत्त्व
इस पर्व का सामाजिक महत्त्व भी बहुत अधिक है। यह समय है जब परिवार और समुदाय में एकता की भावना से भरा रहता है। लोग इस मौके पर मिलकर आपसी सम्बंधों को मजबूत करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।
तुलसी विवाह का आयोजन
तुलसी विवाह का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है। सारे समुदाय मिलकर मंदिरों और घरों में तुलसी के पौधे की सजाकश करते हैं। पूजा में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है और पूजा के बाद विशेष प्रसाद बाँटा जाता है।
तुलसी विवाह पर्व: आत्मिक समृद्धि का अनुभव
तुलसी विवाह का यह पर्व हमें धार्मिक और आत्मिक संबंध में अध्यात्मिकता की ओर बढ़ने का एक श्रेष्ठ अवसर प्रदान करता है। इसके माध्यम से हम अपनी भक्ति और प्रेम को मजबूत कर सकते हैं और अच्छे समाज निर्माण का संकल्प कर सकते हैं।
तुलसी विवाह का सांस्कृतिक महत्त्व
तुलसी विवाह एक सांस्कृतिक महत्वपूर्ण घटना है जो हमें हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रति समर्पित करता है। इसका आयोजन हमारे समुदाय में सांस्कृतिक समृद्धि की भावना को बढ़ावा देता है और हमारी पीढ़ियों को हमारे संस्कृति के प्रति समर्पित करता है।
तुलसी विवाह: परंपरा और समृद्धि का प्रतीक
तुलसी विवाह हमें हमारी परंपरा और समृद्धि का सूंदर प्रतीक प्रदान करता है। इसके माध्यम से हम अपने समाज में एकजुटता और प्रेम की भावना को सहजता से अपना सकते हैं।
तुलसी विवाह: अभूतपूर्व सौंदर्य
तुलसी विवाह का आयोजन हमारी प्रेम भरी धार्मिकता की सुंदर तस्वीर है। इसके रूप और रिवाजों से यह हमें हमारी संस्कृति की अमूर्त सौंदर्यिकता का अनुभव कराता है।
तुलसी विवाह: प्रेम और आत्मिकता का संगम का सार
इस पूरे आर्टिकल के माध्यम से हमने देखा कि तुलसी विवाह हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है, जो हमें प्रेम और आत्मिकता का संगम सिखाता है। इस पर्व के माध्यम से हम अपने जीवन में एक नया दृष्टिकोण प्राप्त कर सकते हैं और अच्छे समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
तुलसी-शालीग्राम जी का ऐसे कराएं विवाह, जानें मुहूर्त, सामग्री, पूजा विधि
Tulsi Vivah 2023: हिंदू धर्म में जैसे सावन का महीना शिव को समर्पित है उसी तरह कार्तिक का महीना श्रीहरि की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और फिर अगले दिन द्वादशी तिथि पर उनका विवाह माता तुलसी से कराया जाता है.
तुलसी विवाह 24 नवंबर 2023 को है. मान्यता है कि तुलसी विवाह की परंपरा निभाने वालों को कन्यादान करने के समान फल प्राप्त होता है. हिंदू धर्म में कन्यादान को महादान की श्रेणी में रखा गया है. आइए जानते हैं तुलसी विवाह का मुहूर्त, सामग्री, पूजा विधि, मंत्र.
तुलसी विवाह 2023 मुहूर्त (Tulsi Vivah 2023 Muhurat)
तुलसी विवाह तारीख | 24 नवंबर 2023 |
कार्तिक द्वादशी तिथि शुरू | 23 नवंबर 2023 रात 09.01 |
कार्तिक द्वादशी तिथि समाप्त | 24 नवंबर 2023, रात 07.06 |
अभिजित मुहूर्त | सुबह 11.46 - दोपहर 12.28 |
गोधूलि बेला | शाम 05.22 - शाम 05.49 |
सर्वार्थ सिद्धि योग | पूरे दिन |
अमृत सिद्धि योग | सुबह 06.50 - शाम 04.01 |
तुलसी विवाह सामग्री (Tulsi Vivah Samagri)
तुलसी विवाह के लिए तुलसी का पौधा गमले सहित, शालिग्राम जी, गणेशजी की प्रतिमा, हल्दी की गांठ, श्रृंगार सामग्री, बेर, बताशा, सिंदूर, कलावा, लाल चुनरी, अक्षत,रोली, कुमकुम, तिल, फल, फूल, धूप-दीप, गन्ना, घी, सीताफल, आंवला, हल्दी, हवन सामग्री, मिठाई, कलश, सुहाग सामान- बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, साड़ी, बिछिया आदि
तुलसी विवाह की विधि (Tulsi Vivah Puja Vidhi)
- तुलसी विवाह घर के आंगन में कराना चाहिए. इसके लिए सूर्यास्त के बाद गोधूलि बेला का मुहूर्त चुनें. इसके लिए स्थान को अच्छी तरह साफ करें. गंगाजल छीटें. गोपर से लीपें.
- अब तुलसी के गमले को दुल्हन की तरह सजाएं. पूजा की चौकी पर तुलसी का गमला रखें और उसमें शालीग्राम जी को बैठाएं.
- अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें. दीप जलाएं. दोनों को तिल चढ़ाएं.
- दूध में भीगी हल्दी शालीग्राम जी और तुलसी माता को लगाएं. विवाह की रस्में निभाते हुए मंगलाष्टक का पाठ करें.
- अब तुलसी को लाल चुनरी ओढ़ाएं. कुमकुम, मेहंदी, सिंदूर और विष्णु जी के शालीग्राम रूप को आंवला, अक्षत अर्पित करें.
- इस मंत्र का पाठ करें - महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते’
- अब कपूर की आरती करें (नमो नमो तुलसा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी)
- 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें और भोग लगाएं और वैवाहिक जीवन में सुख सौभाग्य की कामना करें.
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